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अब इतने साल कब्जा करने वाला बनेगा प्रॉपर्टी का मालिक! सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला जारी – Property Rights Rules

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सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में प्रॉपर्टी अधिकारों (Property Rights) को लेकर एक ऐतिहासिक और बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने साफ किया कि अगर कोई व्यक्ति किसी ज़मीन या मकान पर लंबे समय तक लगातार कब्जा किए बैठा है, तो वह उसे कानूनी रूप से अपना मालिकाना हक हासिल कर सकता है। इस फैसले ने प्रॉपर्टी विवादों में फंसे लाखों लोगों के लिए एक नई दिशा तय कर दी है। यह फैसला खासतौर पर उन मामलों के लिए अहम है जहाँ वर्षों से जमीन या मकान पर कब्जे को लेकर विवाद चल रहा था और असली मालिक ने समय रहते कोई कदम नहीं उठाया। अब कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि ऐसे मामलों में कब्जेदार को ही कानूनी मालिक माना जा सकता है।

कितने साल कब्जे के बाद मिलेगा मालिकाना हक?

कानून के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति किसी प्रॉपर्टी पर लगातार 12 साल से अधिक समय तक कब्जा बनाए रखता है और उस दौरान वास्तविक मालिक ने उस कब्जे के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की, तो वह व्यक्ति अदालत में दावा करके उस प्रॉपर्टी का वैध मालिक बन सकता है।

आम लोगों के लिए इसका क्या मतलब?

इस फैसले का असर सीधे-सीधे आम लोगों पर पड़ेगा। अब अगर आपके पास कोई जमीन या मकान है, जिस पर कोई और सालों से कब्जा करके बैठा है और आपने अब तक उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की, तो भविष्य में उस कब्जेदार को ही कानूनी मालिक मान लिया जाएगा।

Adverse Possession नियम

इस कानूनी सिद्धांत को Adverse Possession Law कहा जाता है। यह कानून कहता है कि यदि कोई व्यक्ति ईमानदारी से, खुले तौर पर और लगातार किसी प्रॉपर्टी पर कब्जा करके बैठा है और असली मालिक ने समय रहते कदम नहीं उठाए, तो कब्जेदार को मालिकाना हक मिल सकता है।

सुप्रीम कोर्ट का आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है कि असली मालिक को अपनी संपत्ति की सुरक्षा समय पर करनी चाहिए। अगर वह लापरवाह रहता है, तो कानून कब्जेदार के पक्ष में खड़ा होगा।

निष्कर्ष

सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला भारतीय प्रॉपर्टी कानून में एक मील का पत्थर साबित होगा। यह फैसला आम लोगों को यह सीख भी देता है कि अगर आपकी कोई प्रॉपर्टी है तो उसकी कानूनी देखरेख समय पर करना बेहद जरूरी है, वरना लंबे समय से कब्जा जमाए बैठा व्यक्ति ही उसका मालिक बन जाएगा।

Disclaimer : यह आर्टिकल केवल जानकारी के उद्देश्य से है। अंतिम निर्णय और नियम सुप्रीम कोर्ट व भारतीय कानून के अनुसार मान्य होंगे।

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