Old Pension Scheme : भारत में नौकरीपेशा वर्ग के लिए पेंशन सिर्फ सेवानिवृत्ति के बाद मिलने वाला लाभ नहीं है, बल्कि यह उनके पूरे जीवन की वित्तीय सुरक्षा और सामाजिक सम्मान का आधार है। साल 2004 से पहले केंद्र और राज्य सरकारों के कर्मचारियों को Old Pension Scheme (OPS) का लाभ मिलता था, जिसमें उन्हें सेवा निवृत्ति के बाद हर महीने उनकी अंतिम तनख्वाह का एक निश्चित हिस्सा पेंशन के रूप में मिलता था।
लेकिन 1 जनवरी 2004 से केंद्र सरकार ने OPS को समाप्त कर दिया और उसकी जगह New Pension Scheme (NPS) लागू की। इसमें पेंशन की गारंटी खत्म हो गई और कर्मचारियों को मिलने वाली पेंशन पूरी तरह मार्केट और निवेश के प्रदर्शन पर निर्भर हो गई। यही कारण है कि आज भी देशभर में कर्मचारी संगठनों द्वारा OPS को वापस लाने की मांग तेज होती जा रही है।
Old Pension Scheme से किसे होगा लाभ?
यदि OPS को दोबारा लागू किया जाता है, तो इसका सीधा फायदा उन केंद्र और राज्य सरकार के कर्मचारियों को मिलेगा जिन्हें 2004 के बाद नौकरी मिली और वे NPS के दायरे में आ गए।
आंकड़ों के अनुसार:-
- केंद्र सरकार के लगभग 50 लाख कर्मचारी
- राज्य सरकार और अन्य विभागों में करीब 80 लाख कर्मचारी
साथ ही लाखों सेवानिवृत्त पेंशनर
इन सबको OPS के लागू होने पर जीवनभर की गारंटीड पेंशन का फायदा मिल सकता है। यह लाभ न केवल कर्मचारियों बल्कि उनके परिवारों के लिए भी बड़ा सहारा साबित होगा।
OPS और NPS में अंतर
OPS (Old Pension Scheme) और NPS (New Pension Scheme) के बीच सबसे बड़ा फर्क गारंटी और स्थिरता का है। OPS में पेंशन तय होती थी, जबकि NPS पूरी तरह मार्केट पर निर्भर है।
OPS के तहत कर्मचारी को सेवा निवृत्ति के बाद उसकी आखिरी बेसिक सैलरी + DA का 50% पेंशन के रूप में मिलता था।
पेंशन राशि महंगाई भत्ते (DA) के साथ समय-समय पर बढ़ती रहती थी। OPS में जोखिम नहीं था, यह पूरी तरह सरकार की गारंटी पर आधारित था। वहीं, NPS में कर्मचारियों और सरकार दोनों का योगदान निवेश फंड में जाता है। पेंशन की राशि मार्केट रिटर्न और निवेश प्रदर्शन पर निर्भर करती है। इसमें जीवनभर की पेंशन की कोई गारंटी नहीं है। यही कारण है कि कर्मचारी OPS को ज्यादा सुरक्षित मानते हैं।
OPS से पेंशन की गणना कैसे होती थी?
पुरानी पेंशन योजना में पेंशन तय करने का एक सरल फॉर्मूला था। कर्मचारी की आखिरी तनख्वाह और महंगाई भत्ते (DA) को जोड़कर उसका 50% हर महीने पेंशन के रूप में दिया जाता था।
उदाहरण:
- अगर किसी कर्मचारी की आखिरी बेसिक सैलरी ₹60,000 और DA ₹20,000 था,
- तो कुल = ₹80,000
- OPS नियम के अनुसार पेंशन = ₹80,000 का 50% = ₹40,000 प्रतिमाह
इस पेंशन में समय-समय पर महंगाई भत्ता (DA) जुड़ता रहता था, जिससे रिटायर्ड कर्मचारी की आय महंगाई के असर से सुरक्षित रहती थी।
OPS लागू करने की संभावनाएँ?
- वर्तमान समय में कई राज्य सरकारें OPS को लेकर कदम उठा चुकी हैं।
- राजस्थान, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश और पंजाब में सरकारों ने पुरानी पेंशन योजना लागू करने का ऐलान कर दिया है।
- दिल्ली, झारखंड और उत्तराखंड जैसे राज्यों में भी इस पर विचार हो रहा है।
- केंद्र सरकार ने अब तक OPS को लेकर कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की है, लेकिन कर्मचारी संगठनों का दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है।
- वित्तीय विशेषज्ञों का मानना है कि OPS को पूरे देश में लागू करने पर सरकार पर बोझ बढ़ेगा, लेकिन कर्मचारियों के लिए यह राहत और सुरक्षा की गारंटी होगी।
क्यों है OPS इतना महत्वपूर्ण?
1. कर्मचारियों की वित्तीय सुरक्षा – OPS में जीवनभर निश्चित पेंशन मिलती थी, जिससे बुढ़ापे में कोई आर्थिक असुरक्षा नहीं रहती थी।
2. महंगाई के हिसाब से बढ़ोतरी – महंगाई भत्ता (DA) पेंशन में जुड़ता रहता था, जिससे समय-समय पर पेंशन बढ़ती थी।
3. परिवार की सुरक्षा – OPS के तहत मृत्यु के बाद परिवार को भी पेंशन का लाभ मिलता था।
4. NPS से असंतोष – मार्केट जोखिम और गारंटी की कमी के कारण कर्मचारी NPS को सुरक्षित नहीं मानते।
यही वजह है कि OPS को कर्मचारी वर्ग अब भी सबसे भरोसेमंद पेंशन योजना मानते हैं।
निष्कर्ष
Old Pension Scheme सिर्फ पेंशन की व्यवस्था नहीं थी, बल्कि यह सरकारी कर्मचारियों के लिए जीवनभर का भरोसा और सुरक्षा कवच था। यही कारण है कि OPS को दोबारा लागू करने की मांग पूरे देश में जोर पकड़ रही है।
कुछ राज्य सरकारों ने इसे लागू कर दिया है, जबकि केंद्र सरकार अभी इस पर विचार कर रही है। यदि OPS को राष्ट्रीय स्तर पर लागू किया जाता है तो करोड़ों कर्मचारियों और उनके परिवारों को सीधा लाभ मिलेगा। हालांकि, इससे सरकार पर वित्तीय बोझ भी बढ़ेगा, लेकिन सामाजिक सुरक्षा और स्थिरता की दृष्टि से OPS को बेहद अहम माना जाता है।
अस्वीकरण : यह लेख केवल जनरल सूचना और उपलब्ध रिपोर्ट्स पर आधारित है। OPS को लेकर अंतिम निर्णय पूरी तरह से सरकार के हाथ में है। यहां दी गई जानकारी संभावित अनुमानों और सार्वजनिक घोषणाओं पर आधारित है। किसी भी आधिकारिक अपडेट या वित्तीय निर्णय से पहले सरकार की अधिसूचना और आधिकारिक दस्तावेजों की पुष्टि जरूर करें।