भारत में व्यापारिक लेन-देन से लेकर व्यक्तिगत भुगतान तक, चेक का इस्तेमाल लंबे समय से एक भरोसेमंद माध्यम रहा है। लेकिन जब किसी कारणवश चेक बाउंस हो जाता है, तो यह न केवल भुगतान करने वाले और लेने वाले के बीच विवाद पैदा करता है, बल्कि इसे सुलझाने के लिए पीड़ित पक्ष को महीनों या सालों तक कोर्ट के चक्कर लगाने पड़ते हैं। अब सुप्रीम कोर्ट ने इस समस्या को ध्यान में रखते हुए एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है, जो देश के लाखों लोगों को राहत देगा।
पहले चेक बाउंस मामले में शिकायत दर्ज कराना और फिर लगातार तारीखों पर अदालत में हाज़िर होना बेहद थकाऊ और महंगा काम था। कई बार आरोपी पक्ष जानबूझकर केस को लंबा खींच देता था, जिससे न्याय में देरी होती थी। अब सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि चेक बाउंस मामलों में सुनवाई की प्रक्रिया तेज होगी और अनावश्यक देरी खत्म की जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट का नया निर्देश – समय पर निपटारा जरूरी
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि चेक बाउंस से जुड़े मामलों को प्राथमिकता के आधार पर निपटाया जाए। निचली अदालतों को आदेश दिया गया है कि वे ऐसे मामलों को लंबे समय तक लंबित न रखें और निश्चित समय सीमा में फैसला सुनाएं। इससे शिकायतकर्ता को समय पर न्याय मिलेगा और कोर्ट का बोझ भी कम होगा।
बार-बार तारीख लेने की प्रवृत्ति पर रोक
पिछले कई सालों में देखा गया है कि आरोपी पक्ष जानबूझकर बार-बार सुनवाई की तारीख आगे बढ़वाता है। इससे केस कई साल तक खिंचते हैं और पीड़ित पक्ष को मानसिक, आर्थिक और समय की हानि होती है। सुप्रीम कोर्ट ने अब इस प्रवृत्ति पर सख्त रोक लगाने का आदेश दिया है, ताकि न्याय में देरी न हो।
ऑनलाइन सुनवाई और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सुविधा
कोर्ट ने यह भी कहा है कि जहां संभव हो, वहां चेक बाउंस मामलों की सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से की जाए। खासकर ऐसे मामलों में, जहां तथ्यों को लेकर ज्यादा विवाद न हो और सुनवाई केवल दस्तावेज़ी सबूतों पर आधारित हो। इससे शिकायतकर्ता और आरोपी दोनों को कोर्ट में आने-जाने का समय और खर्च बचेगा।
शिकायत दर्ज कराने की प्रक्रिया होगी आसान
अब शिकायत दर्ज कराने के लिए लंबी-चौड़ी औपचारिकताओं से बचा जाएगा। कोर्ट ने निर्देश दिए हैं कि डिजिटल माध्यम से भी शिकायत दर्ज की जा सके, ताकि दूर-दराज के लोग भी आसानी से न्याय पा सकें। इसके अलावा पुलिस और न्यायालय को यह सुनिश्चित करना होगा कि शिकायत मिलने के बाद तुरंत केस रजिस्टर हो और सुनवाई की तारीख तय की जाए।
व्यापारियों और आम जनता के लिए राहत
यह फैसला खासतौर पर छोटे व्यापारियों, स्व-रोजगार करने वालों, और उन लोगों के लिए राहत लेकर आया है, जिनका पैसा चेक बाउंस की वजह से अटक जाता था। अब उन्हें सालों तक कोर्ट के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे और उनका पैसा जल्दी मिलने की संभावना बढ़ जाएगी।
विशेषज्ञों की राय
कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला भारतीय न्याय प्रणाली को तेज और पारदर्शी बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। इससे न केवल लोगों का कोर्ट पर भरोसा बढ़ेगा, बल्कि व्यापारी लेन-देन में भी पारदर्शिता और विश्वास कायम होगा।